ग़ज़ल
कली गुलाब शफ़क़ महताब यानी तू
ग़ज़ल की एक महकती किताब यानी तू
बहारो हुस्न का दिलकश ख़िताब यानी तू
वफ़ा का एक दिलावेज़ बाब यानी तू
तड़प फ़िराक़ तपिश प्यास इश्क़ यानी मैं
नशा सुरूर सुराही शराब यानी तू
वह हर्फ़ हर्फ़ महकती मिठास की बूँदें
वह लफ्ज़ लफ्ज़ महकता गुलाब यानी तू
ऐ काश आये अचानक कभी मेरे घर में
वह आरज़ू मेरी वह मेरा खाव्ब यानी तू
वह नर्म एटलसो किमख्वाब की शबीह कोई
लताफ़तों का हसीन इंतखाब यानी तू
तपिश थकावटो उलझन की तर्जुमानी मैं
सुकून चैन मुहब्बत साहब यानी तू
मैं कर रहा हूँ सवाल और जवाब की तफ़्सीर
सवाल वस्ल है मेरा जवाब यानी तू
कुछ और कैसे पढूं गा कि जब मिला है मुझे
जमालो हुस्न का दिलकश निसाब यानी तू
ग़ज़ाल सौसानो रेहां सनूबरो शमशाद
हर इस्तेआरे का बस एक जवाब यानी तू
उदास उदास नज़ीरी थे ज़िन्दगी थी उदास
फिर आया एक हसीं इन्किलाब यानी तू
मसीहुद्दीन नज़ीरी मऊ
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